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लेखनी ,# कहानीकार प्रतियोगिता # -01-Jul-2023 मेरा बाप मेरा दुश्मन भाग 19


                             मेरा बाप  मेरा दुश्मन   ( भाग 19)


                            अब तक आपने पिछले अठारह भागौ में पढ़ा  कि किस तरह तान्या व विशाल भागकर  लव मैरिज  करते है तान्याके मम्मी पापा इस दुःख को सहन नहीं कर पाते है और वह आत्महत्या कर लेते हैं। इस की खबर मिलने के बाद तान्या की ट्यूमर से मौत होजाती है। विशाल सारिका के साथ दूसरी शादी कर लेताहै।


            सारिका की सहेली सलौनी सारिका को अपनी सौतेली बेटी  रमला का सौदा करके पैसा कमाने का लालच देती है। वह विक्रम से रमला की पहचान  कराकर विक्रम  से उसके साथ प्यार का नाटक  खिलवाती है। और वह इसमें कामयाब  होती दिखती है। आगे की कहानी इस भाग में पढ़कर  अपनी राय दीजिए  ।


                      सारिका  दूसरे दिन विशाल के आफिस जाने के बाद  रमला के कमरे में गयी तो देखा रमला बुरी तरह सोरही थी उसके सारे कपडे़ अस्त ब्यस्त  थे।

     सारिका ने  सबसे पहले उसको कम्बल से ढका।इसके बाद उसके पास बैठकर उसके सिर पर हाथ फेरने लगी। ऐसा करते ही उसकी नींद भाग गयी।

     रमला को अपनी सौतेली माँ को इस तरह प्यार करते देखकर बहुत आश्चर्य हुआ। क्यौकि वह सारिका को बहुत अच्छी तरह पहचानती थी। वह मन में सोच रही थी आज क्या बात है कि सूरज पश्चिम से कैसे निकल रहा है क्यौकि सारिका के बेटा पैदा हौने के बाद आज ऐसा पहली बार हो रहा था।

      रमला जाग  चुकी थी  परन्तु वह चुपचाप रहकर सारिका का प्यार देखने की कोशिश कर रही थी। सारिका ने ही रमला को आवाज देकर जगाया।

    रमला अपनी आँखौ को मलती हुई पूछने लगी," क्या माँ इतनी जल्दी क्यौ जगा दिया आज कालेज भी नहीं जाना। मुझे जी भरकर सोलेने देती।"

  सारिका बोली," बेटा नौ बज रहे है । तेरे पापा भी आफिस जा चुके है। अब और कितनी देर तक सोती रहैगी। वैसे भी अब तुझे समय से उठने की आदत डाल लेनी चाहिए। "

रमला पूछने लगी," ऐसा क्यौ अब ऐसा क्या होगया ? जिससे जल्दी उठना होगा। "

सारिका बोली," अब मेरी लाडो की ससुराल जाने  की तैयारी जो हौने वाली है। "

  "नही माँ मै ऐसी ससुराल कभी नही जाऊँगी जहाँ जल्दी जागना हो। मुझे तो लेट ही जागने की आदत है।", रमला सारिका से लिपटती हुई बोली।

     "चलो ठीक है तुझे जैसी ससुराल चाहिए बैसी ही जगह भिजवायेंगे। लेकिन मै जैसे कहूँ बैसे करना होगा। फिर देखना तेरे पापा को पटाने में कोई  चूक नहीं होगी।",  सारिका ने नहले पर दहला मारते हुऐ कहा।

    रमला पूछने लगी  ," मुझे क्या करना होगा। "

     "करना कुछ नही बस जैसे मै कहूँ वैसा ही करना होगा।", सारिका मक्खन लगाती हुई बोली।

     रमला बोली," ठीक है आप की बात  मान लूँगी।"

  सारिका टौपिक बदलती हुई बोली,"  तू विक्रम को प्यार करती ही है  तू कहे तो तेरे पापा से इस बिषय में बात करके देखू।

     "नहीं मुझे अभी शादी नहीं करनी है कितनी बार कह दिया। आप सभी शादी की बात कहाँसे ले आतै हो।"  रमला ने जबाब दिया।"

     "देख रमला मै तुझे कितनी बार समझाऊ अब मेरी बात मानले। मै विक्रम को भी पूछ लूँगी। आज तेरे पास एक अपनी पसन्द है। कल को तेरे पापा ने कोई लड़का पसन्द कर लिया तब मै भी कुछ नही कर सकूँगी।  तब जैसा होगा वैसा सहना होगा। मेरे साथ तो यह सब होचुका है इस लिए समझा रही हूँ। "

   
वह चुप ही नही होरही थी  वह आगे बोली," विक्रम का घर परिवार भी अच्छा है । लड़का देखा हुआ है। उसमें कोई गलत आदत नहीं है जैसे नशा करने की।  मेरी बात पर सोचना ।आजकल अच्छे लड़कौ के भाव भी बहुत ज्यादा होते है। "

रमला के मस्तिष्क को सारिका वाश करने में लगी हुई थी। उस समय वह वहाँ से चली गयी।

                रमला भी सोचने लगी कि उसकी सौतेली माँ ठीक ही कह रही है क्यौकि विक्रम का मैने भी कितनी बार अपमान भी किया है लेकिन उसने कभी बुरा नहीं माना। और उसमें कोई नशे की आदत भी नहीं है।

         रमला ने दूसरे दिन विक्रम को अपने पास बुलाया और उससे बोली," देख विक्रम तू मुझे कहीं बीच में तो नहीं छोड़कर भाग जायेगा। मै भी अब तुझे अपना जीवन साथी बनाना चाहती हूँ।  मैनें तुझे अपने दिल की बात बतादी है। अब तेरा क्या इरादा है।"

       विक्रम बोला," देख रमला मैने आज तक तुम्हारे अलावा किसी भी लड़की से प्यार नहीं किया। और मै तुम्है कैसे विश्वास दिलाऊँ कि मै तुम्है  कभी धोका नहीं दूँगा। "

    रमला बोली " विक्रम मैने पहले माँ का प्यार खोया है और अब मेरे पापा भी मुझसे दूर ही रहते है। जिससे मै  अब और नफरत नहीं सहन कर सकती हूँ।"

  विक्रम ने  रमला के हाथ को अपने हाथ में लेकर  कहा," रमला मैं अपने प्यार के लिए सारी दुनियाँ से अकेला लड़ सकता हूँ।"

      आज रमला ने अपने दिल को विक्रम को सौपने का पूरा मन बना लिया था। लेकिन कभी कभी वह अपनी सौतेली माँ के  प्यार  के बिषय में सोचती तब उसका  दिल  कहता," रमला यह सब नाटक है। इनसे  बच कर रहना नहीं तो तुझे बुरी तरह फसा सकते है।

    जब वह सौतीली माँ की कहानियौ पर नजर डालती तबत्रसब जगह धोका ही नजर आता था। परन्तु इनमे कुछ अपवाद भी  मिल जाते थे।इन अपवादौ में अपनी भी गणना कर रही थी।

       यही सब सोच कर आज उसने विक्रम के साथ जीने मरने का इरादा कर लिया था।

      अब उसने स्वयं ही अपने पापा को इस वारे में बताने की सोचने लगा।

     रमला   एक दिन विक्रम के साथ एक काफी हाऊस में बैठकर काफी पी रही थी।

    रमला विक्रम की आँखौ में आँखें डालकर पूछने लगी," विक्रम मुझे अपने मम्मी पापा से कब मिलवा रहे हो।"

   विक्रम बोला," मै जल्दी ही अपने मम्मी पापा से बात करके आपको उन दौनौ से मिलवा देता हूँ।"

      रमला ने कहा ठीक है जितना जल्दी हो सकै उतना जल्दी मैं उनसे मिलना चाहतीं हूँ।"

      इतना कहकर दोनौ काफी समाप्त करके अपने घर चलेगये।

                 " क्रमशः" आगे की कहानू अगले भाग में पढ़िए ।

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